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*24 से 30 अक्टूबर तक चलाया जाएगा नेत्र सुरक्षा अभियान*  

 

सारंगढ़ बिलाईगढ़ 22 अक्टूबर 2025/ शासन के निर्देश पर कलेक्टर डॉ संजय कन्नौजे के मार्गदर्शन में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एफ आर निराला के देखरेख में जिले के बिलाईगढ़ ब्लॉक में सम्पूर्ण नेत्र सुरक्षा अभियान 24 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक चलाया जाएगा। इस अभियान के लिए बिलाईगढ़ विकासखंड का चयन करके जिले में पदस्थ नेत्र चिकित्सा अधिकारी ,नेत्र सहायक अधिकारियो की ड्यूटी  लगाया गया। इनको अलग अलग सेक्टर आबंटित किया गया।  सर्व जांच सभी गांवों में जाएगी। इसके लिए गांव में पदस्थ स्वास्थ्य संयोजक, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, पर्यवेक्षक, मितानिन, एमट सब के सहयोग से ये कार्य संपन्न किया जाएगा। गांव में पदस्थ स्वास्थ्य संयोजक मितानिन अपने क्षेत्र के उन सभी घरों में जाकर नेत्र से संबंधित बीमारियों का चिन्हांकन करेंगे। इसके बाद नेत्र सहायक अधिकारी इनका जांच करके पंजीयन करेंगे। जांच में नेत्र संबंधित बीमारियां हो सकती है।

  *दृष्टिहीनता* : ऐसे व्यक्ति जिनका दृष्टि कम हो चुकी है या लगभग कोई दृष्टि नहीं है का चिन्हांकन करेंगे। इसकी जांच नेत्र सहायक अधिकारी करेंगे एवं ग्राम पंजी में दर्ज करेंगे यदि पूरे  दृष्टिहीन होंगे तो इनके लिए  दिव्यागता प्रमाण पत्र बनवाने की सुझाव देंगे एवं आवश्यक मदद करेंगे या जिनका विजन बहुत कम हो चुके है चिन्हांकन करेंगे। 

*मोतियाबिंद* : ऐसे व्यक्ति जिनकी रोशनी मोतियाबिंद के कारण कम हो रही है या कम हो चुकी है, उनको स्वास्थ्य कार्यकर्ता चिन्हांकित करेंगे, जिनका सत्यापन नेत्र चिकित्सा सहायक अधिकारी करेंगे एवं इसकी रिकॉर्ड रखेंगे। शासन का निर्देश है कि कोई भी व्यक्ति मोतियाबिंद के नाम से दृष्टिहीन न हो इसके लिए दोनों आंख में से कम से कम एक आंख को ऑपरेशन करके ठीक कर दे।

मोतियाबिंद का उपचार केवल ऑपरेशन से हो पाता है  पंजीयन करके इनका ऑपरेशन की व्यवस्था रायगढ़ जिला अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हर माह निर्धारित व तय दिनांक को कराई जाती है। बिलाईगढ़ के मोतियाबिंद के प्रकरण उपचार के लिए रायपुर या बिलासपुर से भी कराते हैं। इस अभियान के दौरान दोनों आंख से मोतियाबिंद वाले मरीजों का सर्वप्रथम कम से कम एक आंख को ऑपरेशन से ठीक करेंगे जिससे कि वे दृष्टिहीन  की श्रेणी न जा पावे। मरीजों की चिन्हांकन पश्चात रिकॉर्ड संधारण की जाती है।

*दृष्टिदोष* : लोगो में निकट दृष्टिदोष और दूर दृष्टिदोष, प्रेस बायोपिक दृष्टिदोष (40 वर्ष) इनकी जांच करके आवश्यक मदद पहुंचाई जाती है। यदि मिडिल स्कूल के छात्र छात्राएं होंगे तो शासन इनको चश्मा बनवा कर फ्री में प्रदान की जाती है तथा अन्यों को भी सहयोग प्रदान की जाती है इनकी भी ग्रामवार रिकॉर्ड संधारण की जाएगी।

   *कांचबिंदु* :  ये भी अंधत्व का एक बड़ा कारण होता है मोतियाबिंद के प्रकरण में मरीज की दृष्टि आंख में बिना दर्द के नजरे कम होती है, जबकि कांच मोतियाबिंद में आंख की रोशनी कम होते जाती है लेकिन इसमें आंख में दर्द भी होता है। इस कारण यह बीमारी जल्दी ही चिन्हांकित हो जाती है। पंजीयन पश्चात इनका भी उपचार के लिए आवश्यक मदद की जाएगी। प्रत्येक कांच बिंदु की पंजीयन जरूरी है।

*नेत्रदान* : नेत्रदान को सबसे ज्यादा पुण्य का काम माना जाता इस कारण इसे नेत्रदान महादान कहते हैं। इसमें स्वैच्छिक रूप से आंख दान करने के लिए प्रेरित की जाती है। आमतौर पर  कॉर्नियल ओपासीटी के मरीजों को कॉर्निया की जरूरत पड़ती है और हमारे जिले में कॉर्निया की आवश्यकता वाले मरीज ज्यादा है जबकि नेत्रदान करने वाले नहीं है। ऐसे में केरेटोप्लास्टी कराने वाले मरीजों की लिस्ट बढ़ती जा रही। अतः हमें आम जनता को प्रेरित करना है कि वे अपने  आंख की दान करे ताकि जरूरतमंद लोगों को नेत्र ज्योति प्रदान की जा सके। इसकी नियमित चर्चा होते रहना चाहिए और लोगों में जागरूकता बढ़ाते रहना पड़ेगा। 

   *रेटिनोपैथी* : ऐसे मरीज जो मधुमेह एवं उच्चरक्त चाप से लंबे समय तक ग्रसित रहते हैं, उनको रेटिनोपैथी होने की संभावनाएं रहती है। इनका भी सर्व करके ग्रामवार पंजी बनाए जाने है।

*कम दिखना* : समाज में ऐसे बहुत से लोग जांच में मिलेंगे जिनका आंख से दिखाई (विजन) कम होता है, जांच कर इनका भी चिन्हांकन करने पड़ेंगे।

*आंख को चोटों से बचाना* :   बच्चे, युवा और बुजुर्ग लोगों की आंख में चोट लगने पर आंख खराब होने की संभावनाएं होती है। इस कारण बच्चो में खेल खेल में हो या आते जाते सड़क पर कोई भी फॉरेन बॉडी आंख में पड़ जाती है। उस समय आंख को रगड़िए मत आंख से आंसू आने दीजिए। आंसू से बहुत से फॉरेन बॉडी आंख से निकल जाती है। कभी कभी आंख को साफ पानी से धोने से भी निकल जाती है। इससे भी फॉरेन बॉडी आंख से न निकले तो तुरंत ही आंख के डॉक्टर या नेत्र चिकित्सा सहायक अधिकारी से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करके निदान पा सकते है। कभी भी आंख में कोई प्रॉब्लम हो तो बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी दवाई आंख में मत डालिए। नेत्र चिकित्सा अधिकारी ही सही उपचार व सलाह देंगे। तत्काल स्वास्थ्य केंद्र पहुंच कर उपचार करावे। 

*जागरूकता अभियान* : इस सम्पूर्ण नेत्र सुरक्षा अभियान के दौरान व्यापक पैमाने पर प्रचार प्रसार करना है। स्कूल, कॉलेज और आम जन के  बीच लोगो को आंख की बीमारियों के बारे में बताना है और उन्हें जागरूक करना है। जागरूक व्यक्ति ही अपनी आंख की सुरक्षा कर सकता है। हम सब जागरूक नागरिक मिलकर जिले को नेत्र की विभिन्न बीमारियों की स्क्रीनिंग जांच में मदद करे और जागरूक जिला बनाने के सहभागी बन सके।

आंख के अन्य बीमारियो का भी सर्वे करके सभी का बीमारी वाइस लिस्टिंग करना है। आम जनता से अपील है कि आप स्वयं आगे आकर अपनी नेत्र की जांच करावे। ऐसे सभी नेत्र के रोगी जिनका उम्र 30 वर्ष से ऊपर है। सबकी उच्चरक्त चाप, शुगर जांच एवं 3 प्रकार की कैंसर की स्क्रीनिंग भी करनी है। ये काम साथ साथ चलनी चाहिए इसके लिए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को पूरी सक्रियता की परिचय देना होगा और नेत्र रोगी की जांच उपरांत पंजीयन भी होना चाहिए।

कैंसर, ओरल कैंसर, स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर इन सभी   रोगों की इंट्री एनसीडी पोर्टल में भी होनी चाहिए। दीपावली में पटाखा से आंख में समस्या आने पर अपनी चिकित्सकीय परामर्श ले। इन सभी बीमारियों की जांच उपरांत पंजीयन की व्यवस्था, सर्वे अभियान 30 अक्टूबर तक चलेगी। सभी फील्ड स्टॉफ, मितानिन, एमटी को निर्देश दिए गए हैं कि वे यह सुनिश्चित करे कि सभी जरूरतमंद की जांच हो, पंजीयन हो एवं उन्हें आवश्यकतानुसार मदद भी मिल सके। ऐसे व्यक्ति जिनकी आंख की जांच की जाती है और आयुष्मान कार्ड नहीं बने होंगे तो उनका आयुष्मान कार्ड भी बनाना है। विशेषकर 70 वर्ष के ऊपर के लोगो को, 70 वर्ष के लोगो को आयुष्मान कार्ड से 5 लाख की अलग से इलाज की सुविधा है, जिसे आयुष्मान वय वंदना के नाम से जाना जाता है।

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