BILASPURBlogCHHATTISGARHCRIMEHEALTHKABEERDHAMKORBAnewsRaigarhRajnandgaonSARANGARH-BILAIGARHsurajpurअंबिकापुरकांकेरखैरागढ़जगदलपुरदुर्गबलौदाबाजारबीजापुरमहासमुंदरायपुरसक्तीसरसिवासुकमा

मनुष्य के दुख का कारण मनुष्य का कर्म है  ,,     


 
सारंगढ़ बिलाईगढ़।  ग्राम सालर में पाण्डेय परिवार द्वारा आयोजित श्री मद भागवत कथा के तृतीय दिवस पर सारंगढ़ से आए आचार्य दिनेश चंद्र  महराज ने कहा कि भगवान विष्णु के भक्त गजेंद्र (हाथी) और एक मगरमच्छ (ग्राह) के बारे में है। एक बार, गजेंद्र नदी में पानी पीने गया और ग्राह ने उसे पकड़ लिया। गजेंद्र ने भगवान विष्णु से मदद की गुहार लगाई, और विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से ग्राह को मारकर गजेंद्र को बचाया। इस कथा में, गजेंद्र (हाथी) सांसारिक मोह-माया का प्रतीक है, और ग्राह (मगरमच्छ) माया का। गजेंद्र की भक्ति और भगवान विष्णु की कृपा से ही वह माया के बंधन से मुक्त हो पाता हैत्रेतायुग में दैत्यराज बलि ने एक समय बहुत आतंक मचा दिया था उसने अपने बाहुबल से तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया स्वर्ग के राजा इंद्र भी परेशान हो गए उनका राजपाट छिन गया क्रूर और अहंकारी राजा बलि भगवान विष्णु का परम भक्त था साथ ही वह महादानी था तब देवताओं ने कश्यप ऋषि और उनकी पत्नी के कहने पर देवी माता अदिति ने एक व्रत जिसके शुभ फल से भगवान विष्णु ने वामन देव के रूप में जन्म लिया वामन देव बहुत छोटे थे तभी उन्होंने दैत्यराज बलि को पराजीत करके उसका अहंकार तोड़ दिया भी इसके लिए भगवान विष्णु के वामन अवतारी देव राजा बलि के पास पहुंचे और दान में 3 पग भूमि मांगी राजा बलि का तो पूरे धरती पर अधिकार था लिहाजा उसे एक बालक की यह मांग बेहद छोटी लगी लेकिन शुक्राचार्य भगवान की लीला समझ गए और उन्होंने बलि को यह दान देने से मना कर दियाउर समझाया कि यह स्वयं भगवान विष्णु है और ऐसा दान मांग कर उसका पूरा राज पाट छिन लेंगे राजा बलि नहीं माना और कहा कि यदि वे स्वयं भगवान विष्णु है और मेरे द्वार पर दान मांगने आए है तो इन्हें इंकार नहीं कर सकता इसके बाद बलि ने हाथ में जल लेकर वामन देव को तीन पग भूमि दान करने का संकल्प लिया इसके वामन देव ने अपना आकार बड़ा किया और एक पग में पृथ्वी और दूसरे पग में स्वर्ग नाप लिया इसके बाद उन्होंने राजा बलि से कहा कि अब मैं तीसरा पग कहा रखूं तब ये सुनकर राजा बलि का अहंकार टूट गया और उसने कहा कि तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख सकते है बलि की दान वीरता से वामन देव प्रसन्न हुए और उसे पाताल लोक का राजा बना दिया साथ ही वरदान दिया कि वे हर साल 4 महीने के लिए विश्राम करने पाताल लोक में आयेंगे तब से हर साल चतुरमास के 4 महीने भगवान विष्णु पाताल लोक में बिताते है प. दिनेश शर्मा जी ने बताया कि वामन भगवान विष्णु का एक रूप है जो अहंकार और अभियान पर विनम्रता और भक्ति की विजय का प्रतीक है कथा के दौरान यजमान दीपक पाण्डेय, अरविन्द पाण्डेय, और सालर गांव के श्रोता उपस्थित रहे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest