*रकबे में हेरफेर कर बनाया किसानों को कर्जदार*

सारंगढ़। ज़िले के प्रा.कृ.सा. सह. समिति पुरगांव किसानों ने आरोप लगाया है कि – समिति द्वारा उनके रकबे में कुटरचित तरीके से बढ़ोत्तरी दर्शाकर अनावश्यक रूप से कर्जदार बना दिया गया है। आरोप को लेकर किसानों ने कलेक्टर से शिकायत की है।
किसानों ने बताया कि – वे हर साल समिति से केसीसी ऋण लेते हैं व धान बेचकर ऋण को चुकाते हैं। समिति द्वारा धान बिक्री के समय ऋण की कटौती करके शेष राशि सीधे उनके बैंक खातों में जमा की जाती रही है । लेकिन वर्ष 24 – 25 में जब उन्होंने केसीसी हेतु आवेदन किया तो समिति ने उन्हें यह कहते हुए लोन देने से मना कर दिया कि आपका 22 – 23 का ऋण अभी बाकी है।
जब हमने हर साल की तरह धान बेचा, समिति ने कर्ज काटा और बाकी रकम हमारे खाते में डाली तो फिर बकाया कर्ज कैसे ? किसानों का दावा है कि – इस बार उनके वास्तविक रकबे से अधिक रकबा दिखाकर उनकी जानकारी के बिना अधिक ऋण दिखाया गया है ताकि – फर्जी तरीके से अति रिक्त राशि निकाली जा सके।
यह सब समिति की मिली भगत से हुआ जिसमें 22 – 23 के व्यवस्थापक कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। हमारा रकबा बढ़ाकर हम पर कर्ज दिखाया गयालेकिन कर्ज की कोई लिखित सूचना या स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।किसानों ने शिकायत में ज़िला प्रशासन से मांगें की हैं 22-23 से लेकर 24-25 तक सभी ऋण, रकबा और खातों की निष्पक्ष जांच करवाई जाए।
अधिकारियों कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है, उनके खिलाफ वित्तीय गबन और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया जाए। किसानों को वास्तविक कर्ज से मुक्त किया जाए, और जिनके साथ गड़बड़ी हुई है उन्हें मुआवज़ा देवें । किसानों को भविष्य में समय पर ऋण और खाद बीज उपलब्ध हो, इसके लिए समिति की कार्य प्रणाली में पारदर्शिता लाई जाए। किसानों द्वारा यह शिकायत राज्य शासन के जनदर्शन पोर्टल पर दर्ज की है । यह पोर्टल नागरिकों की समस्याएं सीधे कलेक्टर और शासन तक पहुंचाने के लिए संचालित किया जाता है जन दर्शन अधिकारी के अनुसार मामला दर्ज हो गया है और इसकी जांच जल्द शुरू की जाएगी। छग में पहले भी ऐसे मामले आज चुके हैं । पुरगांव सहकारी समिति का यह मामला शासन और प्रशासन दोनों के लिए एक चेतावनी और अवसर है गड़बड़ी पर अंकुश लगाकर, किसानों को न्याय दिलाने का ।