BlogCHHATTISGARHnewsSARANGARH-BILAIGARH

*किंकारी जलाशय की उपेक्षा से ग्रामीणों में बढ़ी चिंता*



सारंगढ़ । बरमकेला ब्लाक के धनगांव व लैंध्रजोड़ी में स्थित प्रसिद्ध किंकारी जलाशय की दशा दिनों-दिन खराब होती जा रही है। देख रेख और मरम्मत के अभाव में डेम की जगह-जगह पत्थर धंसने लगे हैं। हालात ऐसे हैं कि – आसपास के ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि – यदि समय रहते सुधार कार्य नहीं किया गया तो कभी भी डेम धंस सकता है, जिससे आसपास के दर्जनों गांव जलमग्न हो सकते हैं । डेम की मेड पर जगह – जगह बड़े-बड़े पेड़ उग आए हैं, जिससे उसकी मजबूती पर सवाल खड़े हो गए हैं। विभागीय अधिकारी इस स्थिति के लिए कर्मचारियों की कमी को जिम्मेदार ठहराते हैं और सरकार से फंड की मांग कर रहे हैं । संवेदनशील कलेक्टर डॉ संजय कन्नौजे को चाहिए कि – इस ऐतिहासिक डेम को संरक्षित कराने पहल करें ।

किंकारी जलाशय परिसर में बना रेस्ट हाउस भी बदहाली की कहानी बयां कर रहा है। अंदर रखा सामान टूट-फूट चुका है और भवन जर्जर होकर खंडहर में तब्दील हो गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि – यह जगह अब शराबियों का अड्डा बन गई है। लोगों का कहना है कि – यदि समय रहते डेम की मरम्मत और सौंदर्यीकरण नहीं किया गया तो यह विभाग की गंभीर लापरवाही मानी जाएगी । अगर सही समय में डेम का मरम्मत नहीं हुई तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है । डेम धंसने की स्थिति में आसपास के गांव डूब जाएंगे और जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है। गांव के लोग रात-रातभर जागकर पहरा देते हैं। वित्त मंत्री ओपी चौधरी को चाहिए कि – डेम का सौंदर्यीकरण, जीर्णोद्धार की पहल करें । किंकारी जलाशय सिर्फ जल स्रोत ही नहीं बल्कि दर्शनीय स्थल और पिकनिक स्पॉट के रूप में भी जाना जाता है‌। यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर में सावन माह के हर सोमवार को हजारों श्रद्धालु जला भिषेक करने पहुंचते हैं वहीं प्रसिद्ध घंटेश्वरी मंदिर में श्रद्धालुओं की आस्था है कि यहां हर मनोकामना पूर्ण होती है ।

छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी पर्यटक यहां पिकनिक मनाने और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने आते हैं। डेम का खास महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसका ओवरफ्लो पानी नाला में आकर तीन धाराओं के संगम जैसा दृश्य प्रस्तुत करता है, जिसे लोग गंगा जमुना-सरस्वती का संगम मानकर श्रद्धा भाव से देखते हैं। किंकारी जलाशय क्षेत्र प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक आस्था का संगम है, लेकिन उपेक्षा और मरम्मत की कमी से यह धरोहर खतरे में है । यदि समय रहते सरकार और विभाग ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह न केवल पर्यटन और धार्मिक स्थल की पहचान खो देगा, बल्कि दर्जनों गांवों के लिए संकट भी बन सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest