टिमरलगा खनिज जांच चौकी बंद, अवैध खनिज परिवहन पर उठे गंभीर सवाल

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के ग्राम पंचायत टिमरलगा में स्थित खनिज जांच चौकी को अचानक बंद किए जाने से क्षेत्र में अवैध खनिज परिवहन को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बताया जा रहा है कि लंबे समय से इस चौकी के माध्यम से अवैध खनिज परिवहन की गतिविधियां संचालित हो रही थीं, जिसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को होने के बावजूद चौकी को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, खनिज जांच चौकी पर अवैध परिवहन करने वाले माफियाओं द्वारा टोकन या पर्ची के माध्यम से वाहनों को पार कराया जाता रहा है। इस पूरे मामले में सहायक खनिज अधिकारी बजरंग पैंकरा की भूमिका को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। चौकी बंद किए जाने के पीछे अब तक कोई आधिकारिक कारण सार्वजनिक नहीं किया गया है, न ही विभाग की ओर से कोई स्पष्ट बयान सामने आया है।
हालांकि खनिज जांच निरीक्षक दीपक पटेल द्वारा पूर्व में कई बार कार्यवाही की गई है, इसके बावजूद चौकी को बंद किया जाना विभागीय मंशा पर संदेह पैदा करता है। आरोप है कि चौकी बंद करने के बाद केवल दिखावे के लिए सीमित कार्यवाहियां की जा रही हैं, जिससे वास्तविक जवाबदेही से बचा जा सके।
देरी से सार्वजनिक हुई कार्यवाही, पारदर्शिता पर सवाल
सूत्रों का कहना है कि हाल ही में की गई कार्यवाही की जानकारी दो से तीन दिन बाद आधिकारिक रूप से साझा की गई, जबकि यदि कार्रवाई निष्पक्ष और पारदर्शी होती तो इसे तत्काल सार्वजनिक किया जाना चाहिए था। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इस बीच अधिकारियों और माफियाओं के बीच कोई समझौता हुआ या फिर अवैध परिवहनकर्ताओं को समय दिया गया।
चार वाहनों की जप्ती, पर चौकी अब भी बंद
बीते शनिवार को टिमरलगा क्षेत्र में गौण खनिज चूनापत्थर के अवैध परिवहन के मामले में खनिज विभाग की टीम ने कार्रवाई करते हुए चार वाहनों को जप्त किया। इनमें एक हाईवा वाहन क्रमांक CG 13 AQ 6504 को कलेक्टर परिसर, सारंगढ़-बिलाईगढ़ में रखा गया है। वहीं दो हाईवा वाहन क्रमांक CG 13 AR 8389, CG 13 AY 9848 तथा एक ट्रेलर वाहन क्रमांक CG 13 AT 3111 को थाना सारंगढ़ के सुपुर्द किया गया।
यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 की धारा 21 के अंतर्गत की गई।
चौकी खुली होती तो पकड़ी जाती कई और गाड़ियां
स्थानीय नागरिकों और जानकारों का कहना है कि यदि टिमरलगा खनिज जांच चौकी को पुनः शुरू कर नियमित और पारदर्शी तरीके से संचालित किया जाए, तो बिना रॉयल्टी पर्ची के अवैध रूप से खनिज परिवहन करने वाली कई गाड़ियों को पकड़ा जा सकता है। इससे न केवल राजस्व की क्षति रोकी जा सकती है, बल्कि खनिज माफियाओं पर भी प्रभावी अंकुश लगाया जा सकेगा।
फिलहाल, खनिज जांच चौकी बंद रहने और विभागीय चुप्पी के चलते यह मामला और अधिक संदेह के घेरे में आ गया है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाता है और क्या चौकी को पुनः शुरू कर अवैध खनिज परिवहन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।


