खनिज माफियाओं के आगे प्रशासन पस्त! टिमरलगा खनिज बैरियर अस्थाई बंद, अवैध परिवहन को मिली खुली छूट

सारंगढ़- बिलाईगढ़। लगातार शिकायतों, कार्रवाई के दावों और भारी अवैध परिवहन के बीच आखिरकार वही हुआ, जिसका डर था। टिमरलगा खनिज बैरियर को अधिकारी-कर्मचारियों के अभाव का बहाना बनाकर अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया। सवाल यह है कि यह निर्णय व्यवस्था की मजबूरी है या माफियाओं के दबाव में किया गया समर्पण समझें। खनिज क्षेत्र टिमरलगा, गुडेली, कटंगपाली सहित आसपास के इलाकों में कई बड़े खनन प्रोजेक्ट संचालित हैं। इन्हीं खदानों से रोजाना भारी मात्रा में खनिज का परिवहन होता है। रायगढ़ रोड जैसे मुख्य मार्ग पर स्थित टिमरलगा खनिज बैरियर अवैध परिवहन पर अंकुश का अंतिम पड़ाव माना जाता था, लेकिन अब उसी बैरियर को बंद कर देना कई सवाल खड़े करता है। सूत्रों के मुताबिक, लगातार अवैध परिवहन की शिकायतें, मीडिया में खुलासे और सीमित कार्रवाई के बाद खनिज विभाग ने यह निर्णय लिया। विभाग का तर्क है कि स्टाफ की भारी कमी के कारण बैरियर का संचालन संभव नहीं। लेकिन यही तर्क प्रशासन की असफलता को उजागर करता है। यदि खनिज विभाग वर्षों से क्षेत्र की संवेदनशीलता जानता है, तो आज तक पर्याप्त व्यवस्था क्यों नहीं की गई।स्थानीय लोगों का आरोप है कि बैरियर बंद होते ही खनिज माफियाओं के ट्रक बिना रोक-टोक फर्राटा भरने लगे हैं। यह निर्णय अवैध कारोबारियों के लिए खुला न्योता बन गया है। सवाल जिला खनिज अधिकारी पैकरा की भूमिका पर भी उठ रहे हैं—क्या यह लापरवाही है या जानबूझकर आंख मूंदना। कुल मिलाकर, टिमरलगा बैरियर का बंद होना प्रशासनिक कमजोरी नहीं बल्कि खनिज माफियाओं के सामने घुटने टेकने जैसा माना जा रहा है। यदि जल्द वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई, तो अवैध खनन और परिवहन बेलगाम होकर सरकारी राजस्व और कानून—दोनों का मज़ाक उड़ाता रहेगा।


