
सारंगढ़ । जिला के लाईफ लाईन सड़क याने सारंगढ़ सरसीवां भटगांव बिलाईगढ़ सड़क की स्थिति लगातार बदहाल हो रहा है , जिला मुख्यालय से सरसीवां तक की16 किमी की सड़क छिंद गांव के पास बद से बदत्तर स्थिति में पहुंच गई है। यहा पर 16 किलोमीटर का सफर लगभग 1 घंटे का हो रहा है। कहने को तो यह मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग 130 बी हो गया है तथा इसी रोड़ को फोरलेन बनाये जाने के लिये जिले के 58 गांवो की जमीन खरीदी बिक्री पर प्रतिबंध लगाये गयें है किन्तु अभी जो बदहाली और परेशानी है उसको दूर करने कोई पहल तक नही हो रही है। बरसात के पानी से सड़क के गड्ढ़े डूबे हुए है व हालत बद से बदत्तर होते जा रहा है। जिला की लाईफ लाईन सारंगढ़-सरसीवां सड़क जो कि अब नेशनल हाईवे 130 बी है इसको फोरलेन सड़क की घोषणा कर भूमि की खरीदी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है किन्तु सड़क पर सामान्य संधारण भी नेशनल हाईवे नही कर रहा है । सारंगढ़ के रानीसागर गांव से शुरू होने वाला जर्जर सड़क की स्थिति चंदाई और छिंद के पास सर्वाधिक जर्जर है। बने आधा दर्जन से अधिक गहरे गड्ढ़े मे छोटे चार पहिया वाहन फंस ना जाये इसका डर बना रहता है। बरसाती पानी सड़क को डूबा कर रखी हुई है। वही सड़क के दोनो छोर पर मिट्टी ऊचा हो गया है जिससे पानी की निकासी नही हो रही है और सड़क बेकार हो गया है।
बताया जा रहा है कि – 2000 में छग का निर्माण हुआ था तब से लेकर आज 2025 तक सारंगढ़ से सरसीवां सड़क केजीर्णोद्धार की बात भाषणो मे खूब होती है, धरातल पर कुछ नही होता है। इन 25 वर्षो में करोड़ो रूपये का फर्जी मरम्मत दर्शाकर अधिकारी मालामाल हो गये किन्तु महज 16 किलोमीटर की दूरी वाली सड़क बद से बदत्तर हो गई है । 15 जून जब मानसून आया हल्की बौछार हुई तथा जुलाई में जब अंतिम सप्ताह में ही बारिश ने रौद्ररूप धारण किया तब तक सारंगढ़ से सरसीवां रोड़ की हालत इस कदर बदहाल हो गई है कि – लोग अब इस मार्ग का उपयोग नही करना चाह रहे है। इस बदहाली का एक मात्र कारण अधिकारियो की मनमानी जनप्रतिनिधियो की रहस्यमय चुप्पी के कारण से करोड़ो रूपये के खर्चकर बनी सड़क का गड्ढ़ो में तब्दील हो जाना । सारंगढ़ रानीसागर से शुरू होता है इस सड़क की बदहाली की कहानी जो कि – परसदा बड़े की सीमा के खत्म होने के बाद ही समाप्त होता है। इस बीच 12 किलोमीटर की लंबाई मे ऐसा कोई भी स्थान नही है जहा पर गहरे गड्ढ़े ना हो । हर 10 मीटर ऐसे चौड़े और बड़े गहरे गड्ढ़े हो गये है की चारपहिया वाहन, दुपहिया वाहन भी चलाना यहा पर काफी मुश्किल भरा होते जा रहा है । सारंगढ़ से परसदा की दूरी 12 किमी है किन्तु इसके लिये सामान्य ढंग से एक घंटे का समय लग रहा है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रोड़ किस कदर बदहाल है। कहने को कागजो पर यह रोड़ नेशनल हाईवे हो गया हैकिंतु रोड़ की दशा को देखकर तो यही लगता है कि यह कोई खेत की पगडंडी है। वही अधिकारी इस कदर से बेपरवाह हो गये है । सड़क पर बने गड्ढ़े को भरने तक के लिये रूचि नही ले रहे है । सड़क के जीर्णोद्धार कराने मे असफल रहे विधायक व सांसद मरम्मत तक कराने में भी सफल साबित नहीं हुए है । जिससे साबित हो रहा है की सारंगढ़ के विकास की बाते सिर्फ कोरी कल्पना है और कुछ भी नही है ।
रायपुर जाने का प्रमुख मार्ग बना सारंगढ़-सरसीवा मार्ग ?
सारंगढ़-सरसीवा मार्ग के बदहाली का सबसे बड़ा कारण इस मार्ग पर चलने वाली ओव्हरलोड़ भारी वाहन है। बताया जा रहा है कि इंडस्ट्रिसल एरिया रायगढ़ का प्लांटो का बड़ी मालवाहन गाड़िया राजधानी रायपुर जाने के लिये सारंगढ़ सरसीवा मार्ग का उपयोग कर रही है । इस रोड़ मे बलौदाबाजार जिला की सीमा शुरू होने के बाद शानदार स़ड़क मिलती है जो की बलौदाबाजार होते हुए राजधानी रायपुर पहुंचाती है। इस रोड़ पर टोल टैक्स का कोई झंझट नही होने के कारण से प्रतिदिन 300 से अधिक भारी वाहन इस रोड़ का उपयोग आवागमन में करते है । बताया जा रहा है कि 14 चक्का की एक हाईवा को सरायपाली फोर लेने से होकर रायपुर जाने पर एक तरफ का 3000 रूपये का टोल गेट का टैक्स लगता है। जिसको बचाने के लिये भारी वाहन सारंगढ़ – सरसीवा होकर रायपुर का रोड़ से आवागमन कर रहे है। इस रोड़ की बदहाली का सबसे बड़ा कारण स्तरहीन निर्माण और ओव्हरलोड़ भारी वाहने है । जिसके कारण से रोड़ बदहाल हो गया है वही देखरेख मरम्मत नही होने से गड्ढ़ो में तब्दील हो गया है ।