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*आंख हैं तो जहान है*



प्रकृति ने हमारे शरीर में  एक अनमोल अंग बनाई  है आंख  जिसका शरीर में होनासक्रिय रहना नेत्र में ज्योति होना कितना महत्वपूर्ण है। जिसे आप कुछ छड़ के लिए आंख को बंद करके  महसूस कर सकते है । जन्म से लेकर मृत्यु तक इसका सुरक्षित रहना इसमें ज्योति बने रहना आवश्यक होता है । जन्म होते है नाक मुंह और आंख की सफाई की जाती है जन्म के प्रथम 6 माह में मां की दूध अति महत्वपूर्ण होता है ।विशेष कर शुरू के गाढ़ा पीला दूध जिसे कोलेस्ट्रम कहते । इसमें इम्युनोग्लोबिन होता है बच्चे को 6 माह तक एक्सक्लूसिव ब्रेस्ट फीडिंग कराना होता इससे बच्चे की शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है इसमें आंख की रोशनी के लिए आवश्यक पोषण भी मिलता है लेकिन 6 माह जहां बच्चे को ज्यादा एनर्जी की जरूरत पड़ती है वहां सप्लीमेंटरी फूड की भी जरूरत होना प्रारंभ हो जाता है बच्चे का 9 माह पूरा हो जाने के बाद विटामिन ए की पहली खुराक पिलाई जाती है । 18 माह में  विटामिन ए की दूसरी खुराक पिलाई जाती है इसके बाद हर 6 माह में 5 वर्ष तक कुल 9 बार vitamine A की खुराक बच्चे को पिलाई जाती है इससे बच्चे की नेत्र ज्योति बढ़ती है ,रतौंधी खत्म होती है वही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती जाती है जैसे ही बच्चा स्कूल जाने लगता है बढ़ते जाता है लेकिन पढ़ते समय सिर में दर्द होता है , आंखों में दर्द होता है, आंसू आती है नजर धुंधला दिखता है अक्षर साफ नहीं दिखता है बोर्ड में लिखा अक्षर नहीं दिखता तब जरूरत पड़ती है आंखों की जांच की ,चेकअप कराने की इस वक्त जांच करके पता लगाया जाता है कि बच्चे को निकट दृष्टि दोष है की दूर दृष्टि दोष है और इस जांच को जागरूक पालक प्राइमरी स्कूल के स्तर पर ही करा लिया करते है लेकिन ग्रामीण अंचल में आम तौर पर हमें मिडिल स्कूल के स्तर पर करनी होती है ।

इस अवस्था में बच्चा बहुत कुछ समझ बना लेता है जबकि प्राइमरी स्कूल के स्तर पर उतनी समझ नहीं होता इस कारण राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत हमे मिडिल स्कूल में अध्ययन रत छात्र छात्राओं की नजर की जांच की जाती है  जांच में जिन बच्चों की दृष्टि दोष पाई जाती है ।उस को शासकीय  रूप से चश्मा प्रदाय करने की योजना है  हमारे जिले में ऐसे मिडिल स्कूल की संख्या बरमकेला में 119 है जिसमे 2734 बच्चे दर्ज  है ,बिलाईगढ़ में मिडिल स्कूल की संख्या 179 है जिसमे 8104 बच्चे अध्यापन कार्य कर रहे है जबकि सारंगढ़ में मिडिल स्कूल की संख्या 142 है जिसमे 7320 बच्चे अध्ययन रत है कुल मिलाकर जिले में 440 मिडिल स्कूल है जबकि 18158 बच्चे अध्ययनरत है सभी बच्चों की नेत्र जांच करना एवं दृष्टि बाधित सभी बच्चों का चिन्हांकन करना होता है  जरूरत मंद सभी बच्चों की नेत्र परीक्षण पश्चात सभी बच्चों की शासन के तरफ  उनके दृष्टि के हिसाब से चश्मा बनवा कर निशुल्क प्रदान किया जाता है  ऐसे ही कम H S S भेड़वन के 5 बच्चों को निशुल्क चश्मा प्रदान किया गई  इस उम्र में लगातार चश्मे की उपयोग करने पर कुछ लोगों में चश्मे की लत छूट जाती है  हम नेत्र ज्योति बढ़ाने के लिए हरे पट्टीदार सब्जी ,मौसमी फल गाजर ,केला ,पपीता  ,अंडा ,केला  मछली आदि खाने की सलाह दी जाती है जैसे ही उम्र 35 ,से 40 के बीच में होता है व्यक्ति को आंखों में देखने में परेशानी होती है ।विशेष कर पास की वस्तुएं साफ साफ दिखाई नहीं पड़ती किताब को दूर करने पढ़ना होता है चावल साफ करना , सुई में धागा डालना आसानी से नहीं हो पता।  तब आंख की जांच कराना आवश्यक हो जाता है जब उम्र 50 प्लस की होती है तब नेत्र ज्योति धीरे धीरे कम होते जाती । इस अवस्था में आंख में दर्द भी नहीं होती है और नजरें धीरे धीरे कम होती जाती है । ध्यान नहीं देने पर  व्यक्ति अंधा हो जाता है  ।आंख की यह अवस्था मोतियाबिंद कहलाती है  ।जिसे मात्र ऑपरेशन से हो ठीक किया जा सकता है  ।इसी तरह से किसी भी उम्र में आंख को सुरक्षित बनाए रखना आंख में नेत्र ज्योति उत्तम रहे इसकी व्यवस्था की जाती है ।

खेलते समय ,काम करते समय ,आते जाते समय सड़क में कभी भी कोई फॉरेन बॉडी आंख में पड़ती है तक रगड़े नहीं बल्कि आंखें आंसू आने दे इससे मिट्टी के रूप में फॉरेन बॉडी है आंसू से बहकर  निकल जाती है क्योंकि आंख को हाथ से नहीं रगड़ना चाहिए इससे मेटल पार्ट या ककड़ पत्थर होने से आंख की कॉर्निया में धस जाती है एक बार आंख के सामने के काले भाग में चोट लगने पर कॉर्निया में सफेदी हो जाता है जिसे ऑपरेशन से ही ठीक किया जा सकता है इसे दवाई से ठीक नहीं किया जा सकता ।‌‌ इसके लिए दूसरे किसी से मरणो परांत नेत्र दान करा करके आंख की नेत्र ज्योति  पुनः प्राप्त की जा सकती है किसी के भी मरने के बाद शरीर को या तो जला देते है या फिर दफना देते है इसके लिए भी हमें समाज को दुद्धजीवी लोगो से अपील करके समझा बुझा कर नेत्रदान महादान के लिए भी हमें प्रोत्साहित करना होगा तब ही हम नेत्र दान की संख्या को बढ़ा पाएंगे  किसी भी बीमारी या आंख में तकलीफ  होने की स्थिति में बिना नेत्र चिकित्सक के सलाह के कोई भी ड्रॉप , दवाई आंख में न डाले इस तरह से हमें जन्म से मृत्यु तक आंख को सुरक्षित और ज्योति युक्त बनाए रखना होता है तभी तो कहते है । आंख है तो जहान है ।

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