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*सहजपाली पंचायत में विकास कार्यों के नाम पर फर्जीवाड़*



सारंगढ़। जपं बरमकेला अंतर्गत ग्रापं सहजपाली में भ्रष्टाचार का गंभीर मामला सामने आया है। पंचायत की सरपंच सत्या घनश्याम ईजारदार पर आरोप है कि – उन्होंने विकास कार्यों के नाम पर फर्जी बिल तैयार कर अपने ही परिजनों को वेंडर दिखाते हुए लाखों रुपये का भुगतान करवा लिया। यह प्रकरण पंचायत अधिनियम की धारा 40(ग) का सीधा उल्लंघन माना जा रहा है ।जिस के तहत जनप्रतिनिधि  द्वारा पद का दुरुपयोग कर निजी लाभ लेने पर निलंबन और पद से हटाने तक की कार्रवाई का प्रावधान है । ग्रामीणों का कहना है कि जिन निर्माण कार्यों और सामग्रियों की आपूर्ति का भुगतान किया गया है, वे या तो कभी हुए ही नहीं या फिर स्थल पर उसका कोई भी अस्तित्व नहीं दिखाई देता। आरोप यह भी है कि इन कार्यों के नाम पर भुगतान उन्हीं व्यक्तियों को किया गया है जो सरपंच के करीबी परिजन हैं। यह पंचायत निधि के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला प्रतीत होता है। जांच समिति बनी, पर परिणाम शून्य मामले की गंभीरता को देखते हुए जनपद पंचायत द्वारा जांच समिति गठित की गई, लेकिन जांच प्रक्रिया में लापरवाही और पक्षपात के आरोप लग रहे हैं। सूत्रों की मानें तो समिति ने मौके पर गंभीर निरीक्षण नहीं किया और अधिकांश जांच कागजी कार्यवाही तक ही सीमित रही। इससे ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है।

सहजपाली के साथ-साथ लुकापारा पंचायत में भी इसी तरह का प्रकरण सामने आ चुका है। वहां भी सरपंच पर धारा 40(ग) के तहत भ्रष्टाचार के आरोप हैं और जांच पूरी होने के बावजूद कार्रवाई का इंतजार जारी है। जांच प्रतिवेदन को सार्वजनिक न किए जाने से प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं, ग्रामीण और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है, अधिकारियों जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार पर पर्दा डाला जा रहा है। यदि यही स्थिति रही तो यह ग्रामीण विकास व्यवस्था की साख पर गहरा आघात करेगा। क्या कहती है धारा 40(ग) छग पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 (ग) के अनुसार, यदि कोई सरपंच अपने पद पर रहते हुए किसी परिजन को अनुचित आर्थिक लाभ पहुंचाता है या उसे वेंडर बनाकर भुगतान करता है, तो उसे उसके पद से हटाया जा सकता है।

अब निगाहें प्रशासन पर
यह मामला अब सारंगढ़ के अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष विचाराधीन है। देखना होगा कि क्या वे इस पर धारा 40(ग) के तहत सख्त कार्रवाई करते हैं या फिर यह मामला भी अन्य प्रकरणों की तरह प्रशासनिक अनदेखी की भेंट चढ़ जाएगा। यदि समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह पूरे राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करेगा। ग्रामीणों ने पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। साथ ही जनपद स्तर पर जांच में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को भी उत्तरदायी ठहराए जाने की मांग उठाई है, ताकि भविष्य में इस प्रकार के फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाया जा सके।

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