छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जा रहा है पोला त्यौहार, जानें इसके महत्व और परंपराएं

छत्तीसगढ़ में पोला त्यौहार की धूम है, जो आज 23 अगस्त को मनाया जा रहा है। यह त्यौहार छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत का हिस्सा है, जो किसानों और उनके पशुधन के प्रति सम्मान और कृतज्ञता को दर्शाता है।
पोला त्यौहार भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन किसान अपने बैलों को नदी या तालाब में ले जाकर स्नान कराते हैं और उन्हें सजाते हैं। बैलों को रंगों, कपड़ों, घुंघरू, घंटियों और कौड़ियों से सजाया जाता है।


इस त्यौहार के दौरान घरों में महिलाएं पारंपरिक पकवान बनाती हैं, जैसे कि ठेंठरी, खुरमी, चीला, गुड़हा, अनरसा, सोहरी, चौसला आदि। ये व्यंजन चावल, गुड़, तिल और अन्य स्थानीय सामग्रियों से तैयार किए जाते हैं।
बच्चे मिट्टी के बैलों की पूजा करते हैं और उन्हें एक दूसरे के घर ले जाते हैं, जहां उन्हें उपहार मिलता है। इस त्यौहार के दौरान बैलों की पूजा की जाती है और उन्हें विशेष भोजन खिलाया जाता है।
राजधानी के बाजारों में पोला त्यौहार के लिए विशेष तैयारियां की गई हैं। मिट्टी के बैल और खिलौने बाजार में उपलब्ध हैं, जिनकी कीमतें 120 रुपये से 180 रुपये तक हैं। शहर के रावणभांठा मैदान और रामसागर पारा में भव्य बैल दौड़ का आयोजन किया जाएगा।