BlogSARANGARH-BILAIGARH

पर्यावरणीय प्रभाव रिपोर्ट सार्वजनिक न होने पर जनसुनवाई का विरोध

 

सारंगढ़ में ग्रीन स्टेबल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की प्रस्तावित खदान पर ग्रामीणों का तीखा आक्रोश

सारंगढ़ बिलाईगढ़। ग्रीन स्टेबल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी द्वारा ग्राम धोरा भाठा,कपिसदा ब सरसरा और जोगनिपाली क्षेत्र में प्रस्तावित पत्थर खदान आबंटन को लेकर दूसरी बार जनसुनवाई आयोजित की जा रही है। इस जनसुनवाई से पहले ही ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

जनसुनवाई स्थल पर ज़िला पंचायत अध्यक्ष संजय भूषण पांडेय, सभी जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य, सरपंचगण सहित हजारों की संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहेगेऔर उन्होंने अपनी गंभीर आपत्ति दर्ज कराई जावेगी विरोधकर्ताओं का कहना है कि यह खदान परियोजना क्षेत्र के पर्यावरण, स्वास्थ्य, जलस्रोत और ग्रामीण जीवन पर गंभीर असर डालेगी।

ग्रामीणों द्वारा उठाई गई मुख्य आपत्तियाँ

1. पर्यावरणीय खतरा

ग्रामीणों ने कहा कि खदान संचालन से धूल, ध्वनि प्रदूषण एवं विस्फोट से प्राकृतिक संतुलन गड़बड़ा जाएगा।
खेती योग्य भूमि, जंगल, पेड़-पौधों और स्थानीय जैव-विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका जताई गई।
वहीं भूजल स्तर गिरने और आसपास के कुओं व हैंडपंपों के सूखने की संभावना भी जताई गई है।

2. स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव

पत्थर की धूल के महीन कणों से खांसी, सांस, फेफड़े संबंधी बीमारियाँ, एलर्जी और अस्थमा के बढ़ने की आशंका व्यक्त की गई।
गांववासियों ने यह भी बताया कि लगातार शोर और कंपन से बच्चों, वृद्धों और गर्भवती महिलाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

3. सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव

बार–बार विस्फोट और भारी मशीनरी के कंपन से घरों, स्कूलों और धार्मिक संरचनाओं में दरार पड़ने का खतरा बताया गया।
कृषि, पशुपालन और स्थानीय रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव की चिंता भी व्यक्त की गई।
ग्रामीणों ने कहा कि इस परियोजना से क्षेत्र का शांत वातावरण और ग्रामीण जीवन पूरी तरह प्रभावित होगा।

4. प्रक्रिया से जुड़ी अनियमितताएँ

ग्रामीणों का आरोप है कि परियोजना के लिए ग्रामसभा की विधिवत सहमति नहीं ली गई।
साथ ही पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि खनन से होने वाली क्षति की भरपाई कैसे की जाएगी।

जनप्रतिनिधियों ने उठाई गंभीर आपत्तियाँ

ज़िला पंचायत अध्यक्ष संजय भूषण पांडेय ने कहा कि “बिना ईआईए रिपोर्ट सार्वजनिक किए जनसुनवाई करना पारदर्शिता के सिद्धांत के खिलाफ है। जब तक ग्रामीणों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित नहीं होता, तब तक खदान आबंटन स्वीकार्य नहीं है।”

विरोध जारी रहने पर जनआंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि बिना सुधार और चर्चा के जनसुनवाई आगे बढ़ाई गई, तो बड़ा जनआंदोलन खड़ा किया जाएगा, जिसकी पूरी ज़िम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest