*सोनू अग्रवाल – काव्यात्मक जीवन परिचय*

बोंदा की पावन धरती पर, खुशियों का जब हुआ उजास,
श्री बजरंगलाल जी और श्रीमती श्यामा देवी के आँगन में, उतरा जैसे खुद आकाश।
प्रथम पुत्र के रूप में आया, परिवार में नवप्रभात,
नाम पड़ा सोनू, साथ में मिला, सबका स्नेह और साथ।
बचपन बीता सरल-सजग, शिक्षा ली गाँव की छाँव,
बोंदा, सरिया और रायगढ़ ने, दीं ऊँचे सपनों की राह।
सीख लिया संघर्ष का मूल्य, मेहनत का सच्चा सार,
हर कदम पर ढूँढ लिया, जीवन में उजियारा अपार।
जीवन-पथ पर संग मिला, डॉली जैसी जीवनसंगिनी,
तीन संतानों से महका घर, खुशियों से भर दी हर घड़ी।
रजत, रिया और नन्हीं बिटिया, परिवार का अमृत स्वरूप,
इनके स्नेह से जगमगाता, हर दिन बनता अनुपम रूप।
व्यवसाय में भी गढ़ी कहानी, “नवदुर्गा क्रशर” का मान,
मेहनत, निष्ठा और ईमानदारी, बने सफलता के प्रमाण।
भोलेनाथ और श्याम बाबा के, सच्चे हैं वे आराधक,
भक्ति और सेवा से जीवन को, बना रहे हैं सार्थक।
सोनू अग्रवाल की गाथा है, श्रद्धा, संघर्ष और विश्वास,
परिवार-भक्ति और व्यवसाय से, रच डाली जीवन की आस।
हर दिल को जोड़े अपनापन से, हर मन में जगाएँ प्रकाश,
सोनू जी की यह जीवन-यात्रा, है सबके लिए विशेष विरासत।