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*रक्षाबंधन त्यौहार का है पौराणिक महत्व – रतन*




बरमकेला । रक्षा बंधन भारत में हिंदुओं द्वारा पारंपरिक रूप से मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है। रक्षा का अर्थ है सुरक्षा व बंधन का अर्थ है बंधन। इस प्रकार रक्षा बंधन का अर्थ है सुरक्षा का बंधन । यह भाई-बहन के बीच प्रेम और स्नेह का बंधन है। रक्षा बंधन का त्यौहार  पंचांग के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भारत में प्रत्येक पर्व का अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। रक्षा बंधन त्यौहार का महत्व मुख्यतः भाई-बहन के बंधन को मज़बूत करना है। इस त्यौहार की शुरुआत बहन द्वारा अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधने से होती है । यह कहना है समाज सेवी रतन शर्मा का. उन्होंने इस मौक़े पर सभी को बधाई एवं शुभकामनायें दी है ।
श्री रतन शर्मा ने कहा कि जब भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीनों लोकों पर विजय प्राप्त की, तो राजा बलि ने भगवान विष्णु से अपने महल में रहने का अनुरोध किया । भगवान विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी अप्रसन्न थीं और चाहती थीं की वे अपने धाम, वैकुंठ लौट जाएँ। इसलिए, उन्होंने राजा बलि को राखी बाँधकर अपना भाई बनाया । इस आशीर्वाद से प्रसन्न होकर, राजा बलि ने उनकी इच्छा पूरी की। तब देवी लक्ष्मी ने उनसे भगवान विष्णु को मुक्त करने और उन्हें वैकुंठ लौटने की अनुमति देने का अनुरोध किया । भगवान कृष्ण की उंगली गलती से कट गई थी। द्रौपदी ने तब अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बाँध दिया ताकि खून बहना बंद हो जाए। द्रौपदी के इस भाव से अभिभूत होकर, कृष्ण ने उन्हें जीवन भर सभी बुराइयों से बचाने का वचन दिया। बाद में, जब कौरव द्रौपदी को दरबार में निर्वस्त्र करके उनका अपमान करने की कोशिश कर रहे थे, तब भगवान कृष्ण ने उनकी साड़ी की लंबाई अनंत बढ़ा कर उनकी रक्षा की ।वर्तमान में बहन भाई के माथे पर तिलक लगाती है, एक दीया जलाकर कलश पर रखती है। फिर वह उसकी कलाई पर राखी बाँधती है और उसे खाने के लिए मिठाई देती है। राखी बाँधने से पहले, बहनें पारंपरिक रूप से उपवास रखती हैं। राखी भाई के प्रति अपनी अटूट आस्था उसके सुखी एवं स्वस्थ जीवन की प्रार्थना का प्रतीक है । बदले में भाई भी अपने प्यार के प्रतीक के रूप में उसे उपहार देता है उसे सभी बुराइयों , परेशानियों से बचाने का वादा करता है ।

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